समय ही सब कुछ है
खुसरो सरीर सराय है क्यों सोवे सुख चैन ।
कूच नगारा सांस का बाजत है दिन रैन ।।
हे मानव यह शरीर एक सराय के समान है
तुम्हें थोड़ी देर रहने के लिए
मिला है
जैसे मुसाफिर थोड़ी देर रूकता है और फिर वह स्थान छोड़ आगे बढ़ जाता है
मगर तुम ने तो इस शरीर को अपने सुख चैन का अड्डा बना लिया है
और बेफिक्र होकर अज्ञान की नींद सोया है,
यह शरीर और सासे यादा देर नहीं टेकने बाली, सांस की (नगाड़ा) टीक टीक दिन रात अलार्म की तरहां बज रही है और
इस झूठे सुख में फंसे मत रहो
समय बहुत नाप तोल कर मिला है
इसका सही उपयोग करो।
