आत्मज्ञान
धर्म खुद की खोज का नाम है
धर्म पुजा पाठ,फल फुल, प्रशाद लड्डू जलेबी
धोफ अगरबत्ती और मुरती पुजा करना ही नहीं है इससे बहुत बहुत ऊंची बात जिसे समझना ही जीवन का एक मात्र उद्देश्य है।
आत्मज्ञान बिना नर भटके, कोई मथुरा कोई काशी।
जैसे मृगा नाभि कस्तूरी, बन बन फिरत उदासी।
